Thursday 15 October 2015

डेढ पसली का पावरहाउस (व्यंग्य)

शराब पीना बुरी बात है, लेकिन बेचना, बनाना या खरीदना बाजार का एक हिस्सा है। व्यवसायी अपना कारोबार नहीं करेंगे तो क्या भैस चराएंगे। मार्केट की हलचल ही देश की तरक्की का आईना है। जी.डी.पी “ग्रोथ” का दर्शनशास्त्र है। विश्व में अपनी धाक जमानी है  तो इस दौड़ में खुद को बेहतरीन धावक सिद्ध करना ही होगा। बियर को तो जनरल स्टोर और ढाबो पर उपलब्धता “ट्वन्टी फोर सैवन” सुनिश्चित कर देनी चाहिए। इससे युवाओ को कोल्ड ड्रिंक्स के दुष्प्रभावो से भी बचाया जा सकेगा। स्मरणशक्ति और तर्कशक्ति को बढाने में इसका जादुई असर होता है। जो शराब को खराब बताता है वो इसके दूरगामी फायदों से अनजान है।  पीते ही डेढ पसली का आदमी पावरहाउस बन जाता है।
टूरिज्म व्यवसाय वालो को कुछ ऐसे ही रचनात्मक और सकारात्मक सुझाव लेकर आगे आना चाहिए। शराब अपने साथ कई क्षेत्रो को नई दिशा देने में सक्षम है। जब कोई शराब पिएगा तो होटल में खाना भी खाएगा। शराब के नशे में टूरिस्ट डैस्टिनेसन ज्यादा खूबसूरत नजर आएंगे। नियमों के उदारता से डूबते टूरिज्म व्यवसाय में भी नई उर्जा का संचार होगा। होटल, रैस्त्रा, टूरिज्म इन्डस्ट्री से इन्डायरैक्ट शराब टैक्स से भी देश के खजाने में बढोतरी होगी। आज भौतिकवाद की दौड़ में हाईपर टैन्शन एक गंभीर समस्या बन कर उभर रही है। इस सुलभ निंद्रा रस के सेवन के उपरान्त अच्छी नींद लेना आसान हो जाएगा। इससे सुबह ज्यादा तरोताजा होकर हर कोई अपने काम को ज्यादा स्फुर्ति से करेगा।
शराब कोई इश्क तो है नहीं कि इसकी सीमा तय नहीं की जा सकती या उम्र का बन्धन नहीं लगाया जा सकता। इश्क की भी तो न्यूनतम आयु सीमा है। शराब सेवन की न्यूनतम अधिकृत आयु  पर भी व्यवसायिक दृष्टि से गंभीर मंथन होना ही चाहिए। शराब का चुनाव से सीधा तो छोडिए, घुमा फिराकर भी कोई लेना-देना नहीं है। अट्ठारह वर्ष की उम्र में हर कोई चुनाव में भागीदारी निभाने की योग्यता हासिल कर लेता है। और देश को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीवन का महत्वपूर्ण समय युवा बिना शराब के ही गुज़ार देता है। इसी कारण युवा जी.डी.पी. मे अपना अमुल्य योगदान देने से वंचित रह जाता है।
नासा से खबर आई है कि मंगल पर भी पानी का भंडार मिल गया है। मंगल के पानी से बनी शराब परोसी जाएगी तो हर ओर मंगल ही मंगल हो जायेगा, ये तय है। मंगल ब्रांड़ के बाजार में आने की खबर से डरे हुए स्कॉच  निर्माता अब दुग्ध व्यवसाय के क्षेत्र में आने की सोच रहे हैं। मंगल ब्रांड की खबर ने बाजार को हिलाकर रख दिया है। चारधरती से ऊपर उठा आदमी वैसे भी कमाल करता है।  बात जब मंगल की हो तब धमाल का होना तो पक्का ही है। ये शराब रात दिन मिले तो कसम से “लाइफ” बन जाए। ऐसा हो जाए तो दिन का तो पता नहीं लेकिन रात को प्रगति की रफ्तार बेशक चार गुना हो जाएगी। सामाजिक सरोकार चाहे जितनी भी चिल्ल-पों करें,  लेकिन बेपरवाह  प्रगति के घोडे़ सरपट दौड़ते रहने चाहिए । ये तो समय ही बताएगा कि इस तरह के निर्णयों से प्रगति होगी या दुर्गति।