गत रात की बात
सोते अपने सपनो के साथ
आधी रात जाने क्या हुई बात
टूटा मेरा, नींद और सपनो का साथ
कुछ देर लगी थी यकीन दिलाने मे
नींद से खुद को बाहर लाने मे
टूटे सपनो को दिलाशा जुटाने मे
मुझे घूरते यक्ष प्रश्न का उत्तर पाने मे
उत्तर पाकर मै भी रह गया दंग
बेमतलब उभरे थे कुछ राजनैतिक प्रसंग
भयानक डर मुझ पर जमा रहे थे रंग
मेरे डर और मेरी नींद मे चली सुबह तक जंग
डाल बीज डर का मन मे अब कैसे पानी पिला रहे
भ्रष्टाचार गरीबी अल्पसंख्यक के पासे मे फंसा रहे
छोड समन्दर मे लहरो संग हमको झुला रहे
नैया पार लगाने वाले खेवक खुद को बता रहे
मेरे मिट्टी के सपनो को अपनी लहरो मे दफना देंगे
मेरे मौलिक सपनो की कल बोली वो लगवा देंगे
ये डर के सौदागर चुन चुन कर पर कतरेंगे
मेरे “डर मे ही जीत” वो अपनी, आम चुनाव मे पालेंगे
सोते अपने सपनो के साथ
आधी रात जाने क्या हुई बात
टूटा मेरा, नींद और सपनो का साथ
कुछ देर लगी थी यकीन दिलाने मे
नींद से खुद को बाहर लाने मे
टूटे सपनो को दिलाशा जुटाने मे
मुझे घूरते यक्ष प्रश्न का उत्तर पाने मे
उत्तर पाकर मै भी रह गया दंग
बेमतलब उभरे थे कुछ राजनैतिक प्रसंग
भयानक डर मुझ पर जमा रहे थे रंग
मेरे डर और मेरी नींद मे चली सुबह तक जंग
डाल बीज डर का मन मे अब कैसे पानी पिला रहे
भ्रष्टाचार गरीबी अल्पसंख्यक के पासे मे फंसा रहे
छोड समन्दर मे लहरो संग हमको झुला रहे
नैया पार लगाने वाले खेवक खुद को बता रहे
मेरे मिट्टी के सपनो को अपनी लहरो मे दफना देंगे
मेरे मौलिक सपनो की कल बोली वो लगवा देंगे
ये डर के सौदागर चुन चुन कर पर कतरेंगे
मेरे “डर मे ही जीत” वो अपनी, आम चुनाव मे पालेंगे