Sunday 10 January 2016

तोप सिंह का वीआईपीकरण

तोप सिंह अपने कोट की सलवटों को खींच कर सीधी करने की नाकामयाब कोशिश करते हुए, पुन्नी लाल की घंटी बजाते हैं। आप तो अभी तैयार ही नहीं हुए! सरीन साहब के यहाँ शादी में नहीं चलना क्या? पुन्नी लाल एक घूंट हवा पीकर, पेट की मसाज करते हुए, तबीयत का हवाला देकर टाल देते हैं।तोप सिंह को पता था कि पुन्नी लाल आमंत्रित नहीं है तोप सिह अपने मॉर्निंग वॉक एंड टॉक ग्रुप में अकेले आमन्त्रित हैं, इसके प्रचार की जिम्मेदारी का दायित्व खुद लेकर तोप सिंह खुद को किसी चौथी जैनरेशन के टैंक से कम नहीं समझ रहे थे। कार में बैटरी की पुनःस्थापना, शैम्पू वाशिंग करना, डिब्बी वाली पालिश से चमकाना आदि कारोत्थान के जरुरी कृत्य तोप सिंह ने दोपहर को ही निपटा लिए थे। समय आठ बजे का था लेकिन खुद को वीआईपी श्रेणी का दिखाने के लिए साढ़े नो बजे जाने कार्यक्रम, तोप सिंह के चमकदार हिलटाॅप की खुजली का ही नतीजा थी ।
सबसे पहले कार के पुरातन माइलेज के हिसाब से सवा सात लीटर पैट्रोल भरवाया गया। चेहरे पर लाली लाने के लिए खुद में भी एक लीटर अंगूरी जूस प्रवाहित किया। लेकिन कुछ दूर जाते ही अगले टायर की हवा निकल गई। रात में खुद ही स्टेपनी बदलने में तोप सिंह का अंगूरी जूस टॉमेटो सूप में बदल गया। अभी साढ़े दस ही बजे थे, सो स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में थी। लेकिन जरा आगे बढ़ते ही सड़क पर लगा जाम तोप सिंह को सलामी देने के लिए तैयार खडा़ था। कार में बढ़ती गर्मी से दम घुटता देख खिड़की खोली तो बाहर से धुंए का आक्रमण हो गया। सुलगती आग धुंए को देख मुखर हो उठी। मेमसाहब की सहिष्णुता के अब परखच्चे उड़ते दिख रहे थे। दो घंटे के अविरल सत्संग से जूझने के बाद विवाह स्थल पर पहुंच तोप सिंह ने राहत की सांस ली।
लेकिन जैसे ही पंडाल पर एक नजर डाली तो तोप सिंह का चेहरा एक पंचर टमाटर में तब्दील हो चुका था। विवाह स्थल मरुस्थल सरीखा नजर आ रहा था। चाट की खाट खड़ी हो चुकी थी, पनीर का तीर कमान से निकल चुका था, थके हारे स्नैक्स में रिलैक्स मुद्रा में पहुँच गए थे, भागोंनों के कोनों में चिपकी पीली दाल काली पड़ चुकी थी। एक बडे़ से कमरे की खिड़की से विदाई की रश्म चिढ़ाती हुई सी झाँक रही थी। तोप सिंह ने लिफ़ाफ़े में से पंद्रह सौ निकाल पांच सौ का लिफ़ाफ़ा सरीन साहब को थमाया, सवा सात सौ का पैट्रोल डलवाया, बाक़ी में मेमसाहब के साथ कैंडल लाइट उड़ाया।

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