Sunday 10 January 2016

सबरे खींचु हैं (व्यंग्य)
पतंग से शिक्षा मिलती है कि ऊँचाई पाने के लिए  खिंचाई जरुरी है। पतंग अपनी डोर खुद नहीं खींच सकती, इसके लिए एक खींचु की जरुरत भी होती है। हर किसी को आज एक अदद खींचु की जरुरत पड़ती है, जो उसे ऊचाईंयों तक ले जा सके। आजकल ऐसे प्रोफेशनल शुभचिंतक 'शुभ में चिंता करने वाले' बहुतायत में मिल जाते हैं। इस ऊँचाई यात्रा में ध्यान रखना होता है कि अनाड़ी खैंचु ऊँचाई देने के बजाय, पतंग को नीचे भी ले जा सकता है। ऐसी स्थिति में पतंग को तुरंत डोरी काटकर खुद को खींचु से वास्ता ख़त्म कर लेना चाहिए। ऐसी स्थिति में सफाई देनी होती है कि फलाने ने मेरी उड़ती पतंग की डोर बीच में से पकड़ ली थी।
खींचु हर स्थिति में खुद की उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम होता है। किसी की हाइट ज्यादा है तो ऊंट कहकर खिंचाई, हाइट कम है तो 'छोटा है पर खोटा है'। ज्यादा बोले तो फैंकता है, कम बोले तो मौनी बाबा है। कोई ज्यादा विदेश जाए तो हवा-हवाई, ना जाए तो घर से ना निकलने पर खिंचाई। कोई साफ़ बात करे तो उसमें बचपना है, बातों में ट्विस्ट हो तो वो काइया है। कई सोशल मीडिया कर्मी अपने खींचु गुण से रोज नई ऊँचाईयां हासिल कर रहे हैं।
खिंचाई से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। यदि टाँग खिंचने से बच भी गए तो कब हाथ खींचकर कोई गले पड़ जाए, क्या पता! यदि कोई हाथ खींच ले तो उसे अपना शुभचिंतक ही मानना चाहिए। आजकल जहां सब टांग खींचने में लगे है, कोई हाथ खींचने वाला शुभचिंतक कहाँ मिलता है। कान ना खिंचे, इसके लिए तो कानों को कवर किया जा सकता है, लेकिन हाथों का क्या करें!
जब से ये पता लगा है कि खींचने से पतंग को ऊंचाई मिलती है, खींचुओं के भी नख़रे बढ़ गए हैं। आसानी से आजकल खींचु भी नहीं मिलते। इसके भी कुछ उपाय हैं। पहला 'लंबोहस्त स्वम् खींचु यंत्र', जिसे 'सेल्फ़ी' भी कहा जाता है। इस पद्धति से अपनी खिंचाई खुद ही कर ली जाती है और सोशल मीडिया पर फ्री में उपलब्ध खींचु कर्मियों के हवाले कर दी जाती है।
दूसरा, 'अपच बयान पलटी' जो बेहद कारगर है। इसका बेहतरीन उपयोग पक्ष-विपक्ष, कर्तक-दर्शक, गाता-श्रोता सभी धड़ल्ले से करते हैं। स्वाभाविक है, जो खुद को नहीं पच रहा वो दूसरे को परोस दो, तो इसे ऊँचाई हेतु डोरी पकड़ाना ही माना जाएगा। बयान पारिवारिक हो तो बाद में पारिवारिक पक्ष के नज़रिए से ढील की मांग की गुंजाइश भी रहती है। स्थिति आज यही है, बाक़ी अपनी-अपनी मर्जी,  पतंग बनना है या डोर खींचनी है।

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