Tuesday 12 January 2016

विज्ञापन ही विज्ञापन

दिवाली के शुभ अवसर पर पटाखे, फुलझडी, दीपक आदि गुजरे जमाने की बात हो गयीयहाँ-वहाँ जहाँ भी देखो बस तीन चीजें नज़र आती हैं,विज्ञापन, विज्ञापन, विज्ञापन। आज विज्ञापन ही विज्ञापन सपनों में आता है,फिर दिल में समा जाता है, ठंडी-ठंडी हवाएं चलने लगती है, अहसास खुशनुमा होने लगते है, जिन्दगी अचानक महकने लगती है और चिडियाओं की चहक एक नये भौर का अहसास देने लगती है। आज विज्ञापन इतने शानदार होते है कि जैसे ही किसी चैनल पर प्रोग्राम आता है, चैनल बदल कर किसी दूसरे विज्ञापन चैनल पर लगा लिया जाता है। दुखदायी खबरों से खचाखच भरे अखबार में अगर खुशखबरी वाले विज्ञापन ना हो तो हर दिल बोल उठेगा "बस कर अब रुलायेगा क्या"। सडको पर पहरेदार से खडे बडे़-बड़े होर्डिग्स ही हर सफर के हमसफर होते है, होर्डिग्स पर लगे बडे़-बडे़ स्टार्स के कटआउट ऐसे लगते है जैसे अभी पोस्टर फटेगा और स्टार हमारे ऊपर छल्लांग मार देगा। एक विज्ञापन ही है जो क्षेत्रवाद, जातिवाद, धर्मवाद जैसे स्वाद का शौकीन नहीं है, इसकी कृपा सब पर बराबर होती है। लिंगानुपात में सामंजस्य बनाकर विज्ञापन अपनें सामाजिक धर्म को भी बखुबी निभाता है, इधर दिवाली आती है और उधर दिवाला निकल जाता है। डिस्काउंट आफर ऐसे निकलते हैं कि सारे अकाउंट "डिस्टर्ब अकाउंट" हो जाते है।
विज्ञापनों से कितना ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है उसे इस प्रकार समझा जा सकता है। कोई घर में अकेला रहता हो और उसके पास कोई बात करने को ना हो तो दिवारों पर ऐसा पेंट लगाया जा सकता है कि दिवारें बोल उठेंगीफिर क्या आराम से बैठकर बोलती दिवारों के साथ बातें कीजिए। यदि किसी को समझदार बनना है तो उसे डाक्टर, इंजीनियर आदि बनकर अपनी समझदारी साबित करने की जरुरत नहीं है बल्कि अपने घर को चमका दीजिए फिर लोग तो आपको समझदार समझेंगे ही,फिर सब बम डिफ्यूज कराना हो या अपनी लडकी के लिए लडका तय करना हो सब आपके पास ही आएंगे। यदि कोई ज्यादा घुमा फिराकर बात करता हो उसे ऐसा पेय पदार्थ पिलाया जा सकता है कि उसके बाद नो बकवास केवल सीधी बात होगी। यदि लाइफ सुनसान राहों का शिकार हो गयी है और लाइफ मे तूफान लाना है तो खान साहब के पास एक ऐसा पेय पदार्थ है कि सब तूफानी कर देगा। यदि कोई गूंगा है तो उसे किसी डाक्टर के पास लेकर जाने की बिल्कुल जरुरत नहीं है, बस उसे एक मोटरसाईकिल का माइलेज बताना हैमाइलेज सुनते ही गूंगा झट से बोलने लगेगा। यदि कोई कपडे बदलते बदलते परेशान हो गया है और अब जिन्दगी बदलना चाहता है, तो उसके पास कुछ हो ना हो आइडिया होना चाहिए। अब कहीं पुलिस पकड़ ले, अखबार में लिपटे मूँह वाला फोटो छप जाय या सीसीटीवी फुटेज में कुछ खुलासा हो जाय आदि कोई भी दाग क्यो ना लग जाय  भी कोई घबराने की बात नहींक्योंकि दाग अच्छे है।

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