Sunday 10 January 2016

परिचय की धमक (व्यंग्य) 


मंच पर विराजमान, आज के मुख्य अतिथि श्री सफेदीलाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है। इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा एक हस्तलिखित खर्रा दिया जाता है। अतिथि जी की उपलब्धियों से लतपत पौथी त्वरित गुनगान किया जाता है। आम हो या खास, परिचय एक दैनिक दिनचर्या की अन्य जरुरतों की तरह है। अखबार में छपना हो तो सम्पादक से परिचय, ट्रैफिक पुलिस पकड़ ले तो बडे़ अधिकारी से परिचय, नम्बर अच्छे पाने हो तो मास्साब से परिचय, पडौसियों पर धाक जमानी हो तो सफेदपोशों से परिचयप्रेमिका तक पहुंचने के लिए उसकी दोस्त से परिचयकदम-कदम पर सामान्य आदमी परिचय का मोहताज है। सामान्य आदमी के लिए बिन परिचय जीना दुभर हो जाता है। परिचय का मोहताज सामान्य आदमी मन में ठान लेता है, बस अब नहीं, अब उसे भी परिचय का मोहताज नहीं रहना।
परिचय के झंडे गाड़ने तब ज्यादा जरुरी हो जाते है जब, नाम कमाना हो या बदनामी से बचाना हो।जब कहीं जान अट़की हो तो परिचय की तड़की ही काम आती है। जानते नहीं! मेरा बाप कौन है! या मेरा ससुर कौन है! या मेरा जीजा कौन है! जानते नहीं! मेरी सास? ये वो परिचय हैं जो विपरीत परिस्थितियों में किसी परमाणु बम की धमकी से कम नहीं होते। इस परिचय का सदुपयोग गली मोहल्ले से शीर्षस्थों तक में कारगर हथियार के रुप में अपनाया जाता रहा है। ये एक अंतर्राष्ट्रीय कटुनीति है। जानते नहीं! मेरे फलाना बुली देश से सम्बन्ध हैं। पिछले मेलमिलाप सम्मेलन में बुलीराष्ट्राध्यक्ष ने वायदा किया था कि धौसवाद के खिलाफ वह कंधे से कंधा भिड़ाकर साथ हैं।
युवा वर्ग में परिचय स्थापना के लिए सोशल मीडिया के तोपचियों की जबरदस्त धौंस होती है । वो खुद ही ये बताने का मौक़ा नहीं चूकते कि गप्पीस्तान से लेकर टर्किस्तान तक ना जाने कितने व्हाट्स-ऐप ग्रुप में जुड़ें हुए हैं। फेसबुक पर एक कस्बे की आबादी के बराबर उनके दोस्त और फॉलोअर्स हैं। ट्विटर पर एक रैली सरीखा फॉलोअर्स का रैला है। इनकी उपलब्धियों के सामने झिलाई के सारे सूचकांक धरासाई हो जाते हैं। अपनी बेकारी का ढोल पीटते हुए अपनी प्रसिद्धि के झंडे गाड़ने के लिए सोशल मीड़िया एकदम उपजाऊ जमीन उपलब्ध कराता है।
परिचय की यात्रा को मंजिल तक पहुँचाने में परिचालक की भूमिका खुद ही निभानी पड़ती है। अपनी ब्रांडिंग का बोझ ढोने के लिए खुद ही कंधा देना पड़ता है। नाक तक पानी आने पर बाप का परिचय या विपरीत परिस्थितियों में सांस अटकने पर सास का परिचय, कोई फालतु समझे तो उसे अपनी सोशल मीडिया का जगजाहिर परिचय, मौका देख धमक का अहसास दिलाने से क्यों पीछे रहा जाए! आखिर ये परिचय की धमक पेड़ पर नहीं लगती।

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