Tuesday 12 January 2016

गधे नही चूहे बनिये

गधे ने तो फालतु मे ही नाम कमा लिया वरना वजन सहने मे चूहे का कोई सानी नही। चूहे को ऐसे ही गणेश जी का वाहन थोडे ना माना गया है, गणेश जी लड़ुओ के शौकीन तो थे ही,  इसके अलावा भी खाने-पीने के बडे शौकीन थेरही सही कमी सर्जरी ने पूरी कर दी और भारी भरकम गणेश जी बन गये वक्रतुण्ड। अब यह बताने की जरुरत तो है नही की शास्त्रो के अनुसार वक्रतुण्ड महाकाय का वाहन कौन था, चुहा।

जीवन को यूँ तो बोझ नही समझना चाहिए लेकिन दिन प्रतिदिन की नयी-नयी समस्याओ का बोझ मजबूत कन्धो को झुकाने पर तुला रहता है, जैसे जैसे कन्धे मजबूत होते चले जाते है समस्याओ का बोझ भी बधता चला जाता है। जो भी इस वजन को गधा बन कर उठायेगा उसके कन्धे टूटने ही टूटने है, जो चूहा बन कर वजन उठायेगा वही सफल होगा और गणपति का आशीर्वाद प्राप्त कर हर प्रतियोगिता मे प्रथम स्थान पा जायेगा

चूहा कभी अपना शरीर भारीभरकम नही होने देता और जब जंगल मे आग लग जाती है तो अपने बिल मे चूहा ही सुरक्षित रहता है। यदि विपत्ति का बोझ इतना बढ जाये कि दब कर मरने की स्तिथि हो जाय तो बिल मे घुसने की कला चूहे से सीखना जरुरी है। पांडवो ने भी अपनी जान लाक्षागृह मे बिल मे घुसकर ही बचायी थी, पांडवो को ये चुहा ज्ञान प्राप्त था। यूँ तो चुहा किसी को नुकसान नही पहुँचाता लेकिन यदि उसे किसी जाल मे कोई फसाने की चेष्ठा करता है तो उसके पैने दाँत उस समय अपना काम बखूबी करते है। अपने दाँत इतने मजबूत होने चाहिए कि कभी शत्रु की चाल मे फँस भी जाय तो कितना भी मजबूत बन्धन क्यो ना हो निकलने की क्षमता हो।

कोई कितना भी चुहा कहकर चिडाये घबराइये नही, जो भी आपको चिडाता है वह आपका हितैशी नही है, वह आपको गधा बनाना चाहता है। यदि आपको जीवन की हर प्रतियोगिता मे प्रथम स्थान प्राप्त करना है तो आपको चूहा बनना है फिर देखिए आपको कोई नही रोक पायेगा।

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