Tuesday 12 January 2016

अफगानी जलेबी, जूता जापानी

भाषा में हिन्दी और माथे पर बिन्दी, हो तो इंडिया-इंडिया का नारा गूंजना स्वभाविक है। पायल, कंगन और बिंदिया में मेरा इंडिया झलकता है। जनता हिन्दी के महत्व को समझती है। हिन्दी स्कूल के सामने पब्लिक स्कूल लाचार दिखाई दे रहे है।हिन्दी लेखकों, पत्रकारों और कवियों के ठाठ देखकर आज सभी की जीभ तरफ लपलपा रही है।चिंतन मंथन की अगली कड़ी में नौकरियों में भी हिन्दी भाषियों के आरक्षण की बात उठ सकती है।उम्मीद है सरकारी अथवा गैरसरकारी पत्रको में हिन्दी का प्रयोग करने वालो को पंक्तिबद्ध नहीं होना पडेगा।पहले साल में पत्रक को हिन्दी में भरने के लिए अंग्रेजी पत्रक की मदद लेने की रियायत होगी। अगले साल से अंग्रेजी फार्म की मदद से  हिन्दी में फार्म भरने पर पर अतिरिक्त प्रभार लगेगा।
कुछ प्रारम्भिक समस्याएं भी आने की सम्भवनाएं है। बैंक मे आहरण पत्र की जगह कोई अपहरण पत्र की मांग ना कर दे। बचत खाता तो खुलता है लेकिन खर्चा खाता नहीं खुलता है। सब बचत में जमा हो जाएगा तो निकासी कहां से होगी। निकासी का काम क्या नगरपालिका ही देखेगी। चालू खाता कितने दिन में कितना चलेगाक्या खाते में भी वन खाता वन चालू लागु होगा। चालू खाता ही क्यों है, पीता क्यों नहीं है। अंतरण को कोई अंतिम रण समझकर मैदान में कूद पड़ा तो विकट़ स्तिति पैदा हो सकती है। खाने और खाने देना दोनों ही वर्जित है। यहाँ तो खाता भी है और खाता को धारण करने वाला खाताधारक भी है। बैंक की शाखा को आम के पेड़ की शाखा समझकर बन्दर ना झूलना शुरु कर दें। विकट स्थिति तब पैदा हो जाएगी यदि क्लर्क बाबु बन गए। बाबु बनते ही उनके अन्दर बाबुगिरी की आत्मा जागृत हो जाएगी।
भोपाल में अभी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन सम्पन्न हुआ है। वैसे भी जब जहाँ हिन्दी मिलते हैं तो हाथ मिलाने से पहले ही नमस्ते कर लेते है। नमस्ते हिन्दी संस्कृति में आदर का प्रतीक है। भोपाल में भी नमस्कार, विचार, प्रसार, विस्तार, प्रचार, शिष्टाचार पर चर्चा हुई ही होगी। कुछ सम्मानित मंच से हुई जो सबने देखी, बाकी अतिसम्मानित सदन ने भी की ही होगी। ऐसी उम्मीद की जाना गलत नहीं होगा कि हिन्दी के भोकाल को भोपाल में  जरूर मजबूती मिली होगी। हिन्दी को वर्ल्ड मैप पर लाने में बालीवुड का महत्वपूर्ण योगदान है। अफगानी जलेबी, जूता जापानी पहले ही हिन्दी को विश्वस्तरीय बना चुके हैं।

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