Tuesday 12 January 2016

मच्छर की ताकत

सकारात्मक सोच से ही आगे बढ़ा जा सकता है। चर्चको की नकारात्मक बातें दिल तोड़ देती हैं। दिल टूटता है, तभी तो ब्रेकिंग खबर बनती है। जनता के दर्द को समझते हुए, करंट से बेखोफ़ होकर खम्बे पर तो चढ़ा जा सकता है।  करंट के डर पर डेंगु के डंक की खबर का डर भारी पड़ रहा है। खबर के असर से जनता डर-डर कर पसीने से तर-बतर हुई जा रही है। खबर का असर शायद जनता के डर से बेखबर हैं।
मच्छर का ये डेंगु प्रकोप पूर्णत: विवादास्पद है। इस विवादास्पद प्रकोप के लिए मच्छर की घोर भर्तसना होनी चाहिए। यदि मच्छर तब भी नहीं मानते तो मच्छरों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना चाहिए। धरना प्रदर्शन क्या,आमरण अनशन करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। जहाँ मच्छर का ज्यादा प्रकोप हैउसे विशेष क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए। जरुरत पडे़ तो इस प्रकोप के लिए विशेष पैकेज की घोषणा कर देनी चाहिए। ये वो तरीके हैं जिनसे बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय समस्याएं निपट जाती है। ये मच्छर का प्रकोप तो ऐसे गायब हो जाएगा जैसे हिन्दी दिवस पर अंग्रेजी।
सकारात्मक सोच कहती है कि दिल्ली में अब लोग काम करते है, मच्छर नहीं मारते। मच्छर मरेगा नहीं तो बढना तो तय है। जिसने दिल्ली वालो के सर पर काम का इतना बोझ डाला है, वही डेंगु प्रकोप के लिए जिम्मेदार हैं। स्मार्ट सिटी में स्वच्छता अभियान चरम पर है। ये खबर मच्छरों में भी आग की तरह फैल गई। स्मार्ट सिटी में पले-बढे मच्छर अल्ट्रास्मार्ट हो गए हैं। इधर मच्छर मारक छिडकाव नालों में चलता रहा और उधर  मच्छर "फ्लावर पोट" में अपना कुन्बा बढाते रहे।
कुछ भी हो, मच्छर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहा है। जिस काम के लिए मच्छर का जन्म हुआ है, उसी काम को अंजाम देना उसकी कर्तव्यपरायणता को दर्शाता है। इन सबके बीच मच्छर की सकारात्मक सोच का भी दर्शन होता है। जिनके बीच की जंग कभी ना खत्म होने वाली दिखाई पड़ रही थी। एक मच्छर के पर कतरने के लिए अब मतभेदो को भूलने की तत्परता दिखाई दे रही है। एक मच्छर के खिलाफ संयुक्त सेना मैदान में उतार दी है मच्छर की ताकत ने जमीनी हकीकत का दीदार तो करा ही दिया।

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