Sunday 10 January 2016

ये है विज्ञापन का त्यौहार (व्यंग्य)

दिवाली के अवसर पर अखबार धमाकेदार खबरों से लबालब हैं। पहले पांच पेज पर धमाके ही धमाके। फर्क इतना है कि ये पाकिस्तान के नहीं है, ये धमाका सेल है।पटाखों फुलझडियों के दिन अब लद गए है। इनसे वातावरण में धुंआ हो जाता है। धुए के कारण काफी देखने लायक चीजें ठीक से दिखाई नहीं देती। जहाँ भी देखो, बस तीन चीजें नज़र आती हैं, विज्ञापन, विज्ञापन, विज्ञापन। आज विज्ञापन सपनों आकर  दिल में समा जाता है, ठंडी-ठंडी हवाएं चलने लगती है, अहसास खुशनुमा होने लगते है असहिष्णुता, दाल, जातिवाद से तृष्त आम आदमी, बाजार में आई छूट की लूट के लिए लालायित हो उठता है।
आज विज्ञापन इतने शानदार होते है कि जैसे ही किसी चैनल पर प्रोग्राम आता है, चैनल बदल कर किसी दूसरे विज्ञापन चैनल पर लगा लिया जाता है। दुखदायी खबरों से खचाखच भरे अखबार में अगर खुशखबरी वाले विज्ञापन ना हो तो हर दिल बोल उठेगा "बस कर अब रुलायेगा क्या"। सडको पर पहरेदार से खडे बडे़-बड़े होर्डिग्स ही हर सफर के हमसफर हैं। होर्डिग्स पर लगे स्टार्स के कटआउट ऐसे लगते है जैसे अभी पोस्टर फटेगा और एक सुन्दर माड्ल के साथ सुस्जजित बाइक थमा देगा। डिस्काउंट आफर ऐसे निकलते हैं कि सारे अकाउंट "डिस्टर्ब अकाउंट" हो जाते है।
पोथी पढ़कर जो ज्ञान प्राप्त नहीं होता वो चन्द विज्ञापन देखकर प्राप्त किया जा सकता है। यदि किसी को समझदार बनना है तो अपने घर को चमका दीजिए। यकायक आपमें ऐसी समझदारी घर कर जाएगी कि सारी भाभियां आपसे ही पूछेंगी कि शाम को खाने में क्या बनाना है। फिर सब बम डिफ्यूज कराना हो या अपनी लडकी के लिए लडका तय करना हो, सब आपके पास ही आएंगे। यदि कोई ज्यादा घुमा फिराकर बात करता हो उसे ऐसा पेय पदार्थ पिलाया जा सकता है कि उसके बाद वो बिना किसी बकवास के सीधी बात ही बोलेगा। गुंगे का इलाज किसी डाक्टर के पास नहीं है, बस उसे एक मोटरसाईकिल का माइलेज बताना है, माइलेज सुनते ही गूंगा झट से बोल उठेगा। अब कहीं पुलिस पकड़ ले, अखबार में लिपटे मूँह वाला फोटो छप जाय या सीसीटीवी फुटेज में कुछ खुलासा हो जाय तो कोई घबराने की बात नहीं, क्योंकि दाग अच्छे है। आने वाले सभी मंगलकारी विज्ञापन आपके जीवन को खुशियों से भर दें।

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