Tuesday 12 January 2016

मोटी फाइल मोटा पैकेज (व्यंग्य)

पपीता एक खाद्य सामग्री है, शर्ते लागु। इनकी सही कीमत का अंदाजा तभी होता है जब इनका प्रयोग लीपा-पोती के लिए हो। जब तक पपीता ठेल पर तभी तक किलो के भाव होता है। जब पपीता लीपाई सामग्री बन जाता है, तो ये मिलिग्राम के भाव का हो जाता है। पपीता लिपाई सामग्री बनते ही फल नहीं रहता ये "फेस पैक" बन जाता है। तीन पपीता पैक पर बीस प्रतिशत का डिश्काउंट ऑफर, इसी फेस पैक को पैक से पैकेज़ डील बना देता है। पैकेज डील के बाद किसका चेहरा शाइनिंग होता है और किसके चेहरे की लाइनिंग रिमूव करता है, इससे पर्दा तभी हटता है जब पैक चेहरे से हटता है।

ऐसा नहीं है कि फेस पैक लगाने से फेस शाइनिग ही होता है, कभी-कभी पैक फेस पर कुछ ऐसे रासायनिक क्रियाकलाप कर गुजरता है कि प्रतिक्रियावश चेहरा लाल पड़ जाता है। ऐसा पैक चाहे पांच करोड़ का क्यूँ ना हो, उसे वापिस कर देना ही अच्छा रहता है। आखिर फेस वैल्यू भी कोई चीज होती है, पांच करोडी पैक के चक्कर में अपना फेस तो दांव पर नहीं लगाया जा सकता। पांच करोड़ का पैक लेने से मना कर दिया तो अब पैकेज लेकर आ गए। पैकेज भी ऐसा कि फेस तो छोडिए, सारी सड़कों का फेस पैक कर उन्हे भी शाइनिंग कर दे। पाँच साल में जो फेस चमकाया था, उस  पर नेपाली पानी फेरना चाहते हैं। पैकेज से बिहार शाइनिंग हो गया तो शाइनिंग फेस तो रेस से बाहर हो जाएगा।

अपराध डकैती बलात्कार जैसी बढती घटनाओं ने प्रदेश की तरक्की को रोका हुआ है। पैकेज इसी उम्मीद के साथ परोसा गया है कि पैकेज से इन सभी अवरोधों से पार पाने में मदद मिलेगी। बिहार के पैकेज को देखते हुए, कई प्रदेशो में गंभीर चर्चा शुरू हो गई है कि अपराध, बलात्कार, डकैती, घोटालो की फ़ाइल में तरक्की पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। जिन राज्यों में निकट भविष्य में पैकेज की सम्भावना है, उन्होने फाइल को मजबूत करने के लिए त्वरित गति से कार्य करना भी शुरु कर दिया है। भविष्य में बड़ा पैकेज चाहिए तो फ़ाइल की मजबूती पर ध्यान देना ही होगा। अपराध की फाइल और पैकेज एक दूसरे के पूरक हैं, एक के साथ दूसरा घटता और बढता है, मोटी फाइल मोटा पैकेज।

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