दूध तेरे कितने रंग
चाय पियो मस्त जियो, दूध का तो नाम भी मत लो और नाम लेना भी है तो पालीपैक दूध कहो,लोहे की भैस वाला दूध कहो। आसपास रोब जमाने के लिए थोडी बहुत रहीसी झाड लो ठीक हैलेकिन इससे कोई दूध वाला थोडे ना हो जाता है। नींद खुलती है चाय पी कर और शौक दूधवाले, टैक्सवसूली वाले कल ही खबर लेने आ जायेंगे। वो तो सतयुग था जो जो माखन चोरी होजाता था, ये कलयुग है अब तो पूरी की पूरी भैस ही चोरी हो जाती है। जिसका हिसाब किताबइतना हो कि भैस गुम हो जाय तो ढुंढवा सके, वही पाल सकता है दूध का शोक, ना तो गलती सेभी दूध के नाम की शेखियाँ मारना खतरे से खाली नही है।
पालीपैक या लोहे की भैस के दूध की बात ही अलग है, हाई टैक्नोलाजी से गवर्न होता हैपालीपैक या लोहे की भैस का दध सब गवर्नैन्स का कमाल है। पालीपैक या लोहे की भैस के दूधसे बनी चाय पियो और हाईटैक हो जाओ। वहाँ पर हाई टैक्नोलाजी से चारा उगाया और उगानेके बाद खुद नही खाया जाता, केवल दूध वाली भैसो को खिलाया जाता है, हाई टैक्नालाजी सेउन भैसो को नहलाया जाता है, उसका नतीजा ये निकलता है कि एक-एक भैस ने दिन मे चार-चार बार बीस-बीस किलो दूध देती है, ज्यादा हो गया क्या? बीस लीटर दूध ज्यादा लग रहा है ?बस यही माडर्न मार्किटिंग टैक्नोलाजी को लाना है, गवर्नैन्स के साथ, फिर देखो कैसे दूधोनहाया जाता है। भैस और पालीपैक या लोहे की भैस के दूध की जाँच का जिम्मा शिवनगरी केपास है कि किसमे कितना है दम। जाँचमैन भी जमे है कि दूध की क्रीम जाँचने, जाँचा जायेगाकि इस दूध से किसकी कितनी भैसो का दूध है और इन भैस के गोबर से कौन गैस बना रहा है।जाँच की जायेगी कि यदि पालीपैक या लोहे की भैस का दूध से चाय बन सकती है तो मैंगो शेकक्यो नही बन सकता, जनता से राय ली जायेगी कि वह इस दूध की वो चाय पीना चाहते है किमैंगो शेक, तभी होगा दूध का दूध और पानी का पानी। चाय या मैंगो शेक बाद की बात है हर माँचाहती है कि पहले उसके बच्चे के दूध की पूर्ति हो, होनी भी चाहिए, बेहतर भविष्य कि चिन्ताबच्चो की माँ को ही सबसे ज्यादा होती है।
चाय दूध बस चर्चा चिंतन, मंथन चलता रहेगा, निर्णय लेने का काम ठंडे दिमाग से ही होनाचाहिए, इसलिए ठंडा पानी पीना बनता है और कभी-कभी जिसका जैसा स्वाद चाय, मैंगो शेकका स्वाद भी बनता है ।
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