Sunday 10 January 2016

हे वाइफी! तुस्सी नाराज ना हो (व्यंग्य)

दिवाली पूजन तब भारी पड़ गया जब हब्बी ने मन्नत मे झोंपड़ी माँग ली, वाइफी तो उखड गई। बोली, सठ्या गये हो क्या? दुनिया अपनी मन्नतों मे  बंगला, गाड़ी, विदेश यात्रा के ऐशो-आराम माँगती है। आप हैं कि मन्नत मे झोंपड़ी माँग रहे हो। हब्बी शान्त मन से अपनी वाइफी को अपनी मंशा से अवगत कराते हैं। े वाइफी! तुस्सी नाराज ना हो, मैंइस मन्नत के पीछे की कथा तुम्हे विस्तार से बताता हुँ।  जो बंगला, गाड़ी, ऐशो-आराम की मन्नतें माँगते है, उनकी मन्नतें कभी पूरी नही होती। ऐसी मन्नतों के पीछे का भक्तिभाव त्रुटिपूर्ण हो जाता है। ऐसे वरदान इच्छित भक्तों को अंत में श्राप ही मिलता है। यहाँ भी कान घुमाकर पकड़ना पड़ता है। अब ऊपरवाला भी दुनियादारी के तौर-तरीकों से भली-भाँति वाकिफ़ हो गया है। आज के इस स्मार्ट युग में देने वाले को पता लग जाए कि लेने वाले का इससे फायदा हो सकता है। तो फिर लेने वाला भूल जाए कि उसे कुछ मिलने वाला है।
मन्नत में झोंपड़ी मांगने के पीछे एक गूढ रहस्य है। मन्नत पूरी हुई तो इतना तो तय है कि झोंपड़ी के साथ एक छप्पर भी मिलेगा। ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के, इसे कहावत भर ना समझो। यही ऊपरवाले से कुछ पाने का गुप्त मार्ग है। ऊपर वाले का मन कुछ देने का हुआ तो फट़ने के लिए एक छप्पर तो होना ही चाहिए। बस एक बार झोंपड़ी की मन्नत पूरी हो जाय। सपनों के महल की नींव इस झोंपड़ी के छप्पर पर ही रक्खी जानी है। एक दिन ये छप्पर जरूर फटे़गा। जिस दिन फटे़गा। उस दिन देखना कितनों के लैंटर लगेंगे। उनके दिमा्ग में भूंसा भरा है जो इसे फूंस की झोपड़ी समझते हैं। मेरी मन्नत में मेरी दूरगामी सोच छिपी हुई है।  
हब्बी की इस क्रूरतम सोच जानकर वाइफी जी की आत्ममुग्धता का कोई ठिकाना नहीं रहा। हब्बी  पर अपनी कुटिल मुस्कान से निछावर करते हुए, अपने सहभागी होने होने की संस्तुति प्रदान की। किसी को अपने सपनो की हवा भी मत लगने दो। बल्कि उसे महसूस कराओ कि ये जीवन उसी के सपनों के लिए समर्पित है। उसे सपनो की ठण्डी हवा के झोंके देते रहो। उसे तब तक हवा के झोंके दो, जब तक कि वो मदमस्त ना हो जाए। जैसे ही वो ठंडीझवा के झोंको में झूलने लगे, उसे भाड़ में झोंक देने की प्रक्रिया को संपादित कर दो। सपनो का पताका लहराने की दिशा में यही पहला कदम है। बस उसी पल,एक हवा का झोंका आता है और अपने केशो को समेटती वाइफी अपने हब्बी के आगोश मे समा जाती है।

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